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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी एवं सामाजिक विज्ञानं शोध पत्रिका

ISSN:2348-2605

संवैधानिक रूप से हिन्दी भारत की राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जानेवाली भाषा है। परंतु आज फीजी, मॉरीशस, गयाना, सूरीनाम, यूरोप, अमेरिका, नेपाल आदि देशों में हो रही हिंदी-सेवा से वैश्विक परिदृश्य में हिंदी का एक नया व प्रबल चित्र उभर रहा है। गुण और परिमाण में समृद्ध, यह समर्थ और वैज्ञानिक लिपि वाली भाषा देश-विदेश में आधुनिक चुनौतियों को लांघते हुए विश्वव्यापी बन रही है।

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान शोध पत्रिका ISSN:2348-2605 त्रेमासिक पत्रिका है. पत्रिका का मुख्य उद्देश्य हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में विमर्श के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विषयों को पाठकों के समक्ष रखना है.

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध आलेखों में व्यक्त विचार, आशय, तथ्य आदि स्वयं लेखक के द्वारा लिखित अथवा संकलित हैं. उससे संपादकीय सहमति अनिवार्य नहीं है. शोध आलेखों की समीक्षा में शोध आलेख लेखन में अपनाई गयी शोध प्रक्रिया, दिए गए तथ्यों/सत्यता, सन्दर्भ आदि के विषय में मान्य समीक्षकों के द्वारा परीक्षण का प्रयास होता है. किन्तु साधनों की सीमा के कारण त्रुटियाँ संभावित हैं. गलत तथ्यों के प्रस्तुतीकरण की समस्त जिम्मेदारी लेखकों की है.

प्रकाशन किसी भी शोध प्रक्रिया का अंतिम एवं अनिवार्य चरण है. शोध निरर्थक है यदि वह लोगों के संज्ञान में नहीं है. यह एक श्रृंखला क्रिया की तरह है. प्रत्येक अनुसन्धान में कुछ ऐसे अवकाश होते हैं जो एक अन्य स्वतंत्र अनुसन्धान की मांग करते हैं अथवा उसमें ऐसे विचार दृष्टि होते है जो अन्य शोधशोधों को प्रेरित करतें हैं. अतएव व्यापक सामाजिक हित में शोध का प्रकाशन अनिवार्य है.

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान शोध पत्रिका त्रेमासिक पत्रिका है जिसमे हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान विषय एवं विषयों से सम्बंधित सभी उपविषयों के मौलिक शोध-पत्र, शोध समीक्षा, विचार, लेखों आदि का प्रकाशन किया जाता है। शोधकर्ता हिंदी भाषा में अपने शोध पत्र भेज सकते हैं।

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