हिन्दी उपन्यासों में नैतिकता का वैयक्तिक प्रतिमान: प्रेम बोध
DOI:
https://doi.org/10.8855/9xjvw233Abstract
प्रेम की नैतिकता सामाजिक संरचना पर ही आधारित रहती है। नैतिक मूल्यों के पीछे जीवन की एक तर्कपूर्ण पद्धति होती है जो समाज के मानसिक रूप को ध्यान में रखकर निर्मित होती है।
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2013-2025
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Articles