महादेवी जीकी काव्य में वेदना सेजीवन में समाधान

Authors

  • डाॅ.रविंद्रनाथ माधव पाटील Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/p7v0ex34

Abstract


महादेवी वर्मा आधुनिक काल की हिन्दी साहित्य अत्यंत लोकप्रियकवयित्री मानी जाती है। उनकी वेतना प्रसूत रचनाएं हिन्दी काव्य साहित्य के अमरगान के रूपमे मान्यताप्राप्त है। इनका साहित्य रूपी मानवोपयोगी विचार आज भी प्रासंगिकहै। जिसमें कविमहादेवी वर्मा का नामप्रमुखता से लिया जाता सकता हेै।कवयित्री महादेवी वर्मा कासाहित्यिक जीवनअनुभवजन्य विचार एवं कार्य का अतुलनिय भण्डार हैं।हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल को गद्ययुग या जागरण युग के नाम से पहचाना जाता है। विदेशी व्यापारी जो बाद में शासक केरूप मे स्थापित हुए। परिणाम स्वरूप नव विचार दृष्टिकोण सर्वागिण परिस्थितियां आदि का प्रभाव भारतवासियों पर अर्थात हिन्दी साहित्य पर पडना स्वाभाविक था। जिससे हिन्दी काव्य साहित्य परप्राचीन एवं नवीन का, अध्यात्म एवं विज्ञान का मिलाप होकर स्वतंत्रता, भक्ति-प्रधान, श्रुंगार प्रधान, देशप्रेम, मानवाधिकार मानव सुधार,सामाजिक समस्या, मानव विकास के स्वर आधुनिक हिन्दी काव्य साहित्य मेंप्रज्वलित होने लगे। ऐसे मे साहित्यकारों ने ब्रजभाषा से खडीबोली जनता की व्यवहारिक भाषा की ओर मार्ग मार्गक्रमण किया और उसे अपने साहित्य लेखन के लिए खुंलकर अपनाया। परिणामस्वरूप अनेक साहित्यकारों ने विविध प्रकार एवं विचारों से हिन्दी काव्य साहितय को समृद्ध किया। जिसमें सन 1907 अपने जन्म से ग्यारह वर्ष की आयु से ही महादेवी वर्मा ने ’दीपक’ शीर्षक से कविता करके हिन्दी साहित्य में एक ’दीपस्तंभ’ की भूमिका निभायी। 

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2013-2024

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Articles