राम की शक्तिपूजा में नारी विषयक दृष्टिकोण

Authors

  • डॉ तृप्ति सिंघल Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/nzdt6042

Abstract

‘राम की शक्तिपूजा‘ एक ऐसी रचना है जिस पर बहुत अधिक शोध कार्य हो चुका है और निरन्तर हो रहा है। जितना इस रचना पर शोध किया जाता है उतने ही और नवीन तथ्य इसमें वृद्धि कर जाते हैं। ‘राम की शक्तिपूजा‘ की अनेक प्रकार से नवीन व्याख्याएं और स्थापनाएं की जा चुकी हैं। नारी के संदर्भ में राम की शक्तिपूजा की व्याख्या करना इस शोध पत्र का उद्देश्य है। निराला कृत इस रचना के केन्द्रीय भाव में सीता की मुक्ति और इस हेतु रावण से युद्ध है। रचना के प्रारम्भ में सीता है और सीता ही राम की प्रेरणा बनती हंै। युद्ध में विजय प्राप्त करने हेतु राम शक्ति की अराधना करते हैं और उनके द्वारा ली गई परीक्षा में सफल तभी होते हैं जब उन्हें अपनी माता के संबोधन राजीव-नयन का स्मरण होता है। अंत में शक्ति राम की साधना से प्रसन्न हो- ‘होगी जय, होगी जय’ कहकर उनके भीतर प्रवेश कर जाती है। इस प्रकार प्रस्तुत शोध पत्र में निराला द्वारा रचित ‘राम की शक्तिपूजा‘ में नारी के विभिन्न स्वरूप पत्नी माता, देवी आदि की महान भूमिका को उल्लेखित करने का प्रयास किया गया है।

Downloads

Published

2013-2024

Issue

Section

Articles