भारतीय इतिहास के मध्यकालीन युग में गुरू की महत्ता का वर्णन

Authors

  • डा. अनिता जून Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/1pg07j40

Abstract

‘गुरू‘ शब्द और ‘गुरू‘ भाव भारतीय वाड्मय का सर्वप्राचीन धरोहर है। श्रृतियों का निर्माण गुरू परम्परा की ही एक महान देन है। इतिहास की दृष्टि से जब हम मध्यकालीन भक्ति-काल पर विचार करते हैं तो अन्य कालों की अपेक्षा उसमें गुरू महिमा का सत्य-काव्य निर्माण के हेतु के रूप मे स्वीकार मिलता है। यद्यपि वैदिक युग से लेकर आदिकाल तक कोई भी ऐसी साधना धारा नहीं है, जिसमें गुरू का स्थान सर्वशीर्ष सुरक्षित न हो। 

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Published

2013-2024

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