हिंदी सिनेमा में मानसिक स्वास्थ्य का चित्रणः एक समकालीन समाजशास्त्रीय विश्लेषण

Authors

  • डॉ. कृष्णा मीणा Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/7qbd9357

Abstract

यह लेख हिंदी सिनेमा में मानसिक बीमारियों के चित्रण का समाजशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करता है। 1950 के दशक से वर्तमान समय तक मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रस्तुत किया गया है, इसका विश्लेषण किया गया है। शुरुआती फिल्मों में मानसिक बीमारियों को त्रासदी के रूप में दिखाया गया, जबकि आधुनिक फिल्मों ने इसे एक संवेदनशील और वास्तविक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। लेख में ‘‘दिल एक मंदिर‘‘, ‘‘खामोशी‘‘, ‘‘ब्लैक‘‘ और ‘‘तारे जमीन पर‘‘ जैसी महत्वपूर्ण फिल्मों का उल्लेख किया गया है, जो मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज की जागरूकता बढ़ाने में सहायक रही हैं।यह अध्ययन हिंदी सिनेमा में मानसिक स्वास्थ्य के चित्रण की दिशा में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह दिखाता है कि कैसे फिल्में मानसिक बीमारियों के प्रति समाज में जागरूकता और सहानुभूति बढ़ा सकती हैं। इस अध्ययन का उद्देश्य मानसिक बीमारियों के प्रति समाज में व्याप्त धारणाओं और पूर्वाग्रहों को समझना और उन्हें सुधारना है।

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Published

2013-2024

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Articles