21वीं सदी की हिन्दी कहानियों में ध्र्म का व्यावसायीकरण
DOI:
https://doi.org/10.8855/7trc5775Abstract
भारत सदियों से ध्र्म-प्रधन देश रहा है। पत्थरों में भी भगवान को तलाशने वाले भारतीय समाज तथा संस्कृति में आस्था भारतीय जनमानस की एक ताकत रही है । भारत में तमाम विदेशी ताकतों के दमन, अत्याचार तथा गुलामी के बावजूद भारतीय धर्मिक मान्यताएं व विशस अक्षुण्ण बने रहे हैं। परन्तु आज 21वीं सदी में आर्थिक संपन्नता तथा वैश्वीकरण की आंध्ी ने आस्था, विश्वास तथा धर्मिक भावनाओं को इतनी क्षति पहुँचाई है। जितनी कि सैकड़ों विदेशी आक्रमणकारी भी नहीं पहुंचा सके। आज हमारे समाज में ध्र्म के नाम पर अनेक पोंगा-पंडित
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2013-2025
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Section
Articles