सांख्यदर्शन में त्रिगुण ;सत्त्व, रजस्, तमस्द्ध का विवेचन
DOI:
https://doi.org/10.8855/5fdb7z50Abstract
भारतीय दार्शनिक परम्परा में सांख्य दर्शन का स्थान अतीव महत्त्वपूर्ण तथा गौरव मण्डित रहा है । प्राचीन काल से ही इस दर्शन ने चिन्तकों को प्रभावित किया है । बहुत से विद्वानों का तो ऐसा भी मत है कि पहले संाख्य ही एकमात्रा दर्शन था, और उसी से आगे चलकर अन्य दर्शनों की उत्त्पति हुई।1 वस्तुतः सांख्य दर्शन का मूल आधर बौ(िक चिन्तन ही रहा है, सुसम्ब( तथा व्यवस्थित दर्शन के निर्माण में इसको सर्वप्रथम प्रयास कहा जा सकता है।2
Published
2013-2025
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Articles