असहयोग आन्दोलन की सफलता मेंस्वदेशी की भूमिका
DOI:
https://doi.org/10.8855/4gqfgj63Abstract
1905 मे बंगाल विभाजन के कारण भारतीय आन्दोलन में एक विराट परिवर्तन आरम्भ हुआ ।उसके कई कारण थे। 19वीं शताब्दी में समाज सुधार आन्दोलनों ने भारतीयों को उनकी प्राचीन परम्पराओं से अवगत कराया। स्वदेशी अर्थात अपने देशमे निर्मित वस्तु अथवा साधन । भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में विशेषकर गांधी जी द्वारा आरंभ किये गये असहयोग आन्दोलन को गति प्रदान करने में स्वदेशी की विशेष और महत्वपूर्ण भूमिका रही है।1857 ई. के गदर के बाद से ही सम्पूर्ण देश मे राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ ।पूना के लोकहितवादी गोपाल राव देश मुख ने1840 से 1850 के दौरान ग्रामीण उद्योगों की रक्षा हेतु विदेशी वस्तुओं का त्याग करके स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर बल दिया और उसका खूब प्रचार भी किया ।
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2013-2025
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Articles