सूफीकाव्यधारा की प्रवृतियाँ
DOI:
https://doi.org/10.8855/rg186755Abstract
सूफी प्रेमाख्यान काव्य परम्परा मध्यकालीन हिन्दी साहित्य की एक प्रमुख काव्यधारा है। सूफी शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में विद्वानों के विभिन्न मत है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि मदीना में मस्जिद के सामने एक सुफ्फा था, उसी पर जो फकीर बैठते थे वे सूफी कहलाये। दूसरा मत है कि यह ‘सूफ‘ शब्द से बना है जिसका अर्थ है सदाचार एवं सद्व्यवहार के कारण जो लोग अग्रिम पंक्ति में खड़े होंगे, वे सूफी होंगे। तीसरे मतानुसार सूफी शब्द सोफिया का रूपान्तर है। सोफिया का अर्थ है- ज्ञान प्राप्त व्यक्ति। कुछ विद्वानों नू सूफी शब्द का सम्बन्ध सफा से जोड़ा है जिसका अर्थ पवित्र और शुद्धता है। इन विचारधाराओं के साथ-साथ एक विचारधारा यह भी है कि सूफी शब्द ‘सूफ‘ अर्थात् ‘ऊन‘ से बना है। माना जाता है कि सूफी लोग लम्बे-लम्बे ऊनी कपड़े पहनते थे, वे सूफी कहलाए। उपर्युक्त विचारधाराओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सूफी शब्द अरब और ईराक के उन व्यक्तियों को सूचित करता है जो मोटे ऊनी वस्त्रों का चोगा पहनकर साधनापूर्ण जीवन व्यतीत करते थे, जिसके कारण ये लोग मुस्लिमों की अग्रिम पंक्ति में खड़े होने के अधिकारी थे।