’’कवि घनानंद के काव्य में चित्रित कलापक्ष का अवलोकन‘‘
DOI:
https://doi.org/10.8855/qb015851Abstract
कला का जन्म मधुर एवं सुन्दर जीवन जीने के लिए हुआ है क्योंकि इस कला से दुखमय जीवन में आनन्द प्राप्ति होती है। व्यक्ति का मानस क्षितिज एवं हृदयाकाश उदार, उन्नत एवं व्यापक होता है। कला सुख को सौगुणा कर देती है तो दुख को हजार गुणा कम कर देती है। मानो जलते हुए बदन पर चंदन के लेप की-सी शीतलता मिलती है। कला ही में वह शक्ति विद्यमान है, जिससे व्यक्ति विशेष का सुख-दुख जन साधारण का हो जाता है और वह मानव-मानव को एक होने का अहसास कराती है। इतना ही नहीं वज्र हृदय जैसे मनुष्य में कोमल कमल के फूल खिला सकती है।
Downloads
Published
2013-2024
Issue
Section
Articles