सत्ता का हस्तान्तरण
DOI:
https://doi.org/10.8855/rzdv9095Abstract
भारत को लम्बे समय तक औपनिवेशिक राज्य बनाए रखने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य के समक्ष भारत में अपने अन्तिम समय में भारत की स्वतन्त्रता को लेकर एक बड़ी चुनौती थी। भारत में बढ़ती साम्प्रदायिक गतिविधियों ने अंग्रेजी सरकार की चुनौतियों को और भी गहरा कर दिया। इसके पीछे बड़ा कारण यह भी था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं के बीच कोई समझौता नहीं बन पा रहा था। मुस्लिम लीग विशेष तौर पर मुहम्मद अली जिन्ना के अड़ियल स्वभाव के कारण भारतीय नेताओं व ब्रिटिश सरकार के बीच ‘भारतीय स्वतन्त्रता’ की बातचीत सफल नहीं हो पा रही थी। इसी समय भारत में 1945-46 का नौसैनिक विद्रोह बंगाल का तेभागा आन्दोलन और आजाद हिन्दी फोज व सैनिकों की रिहाई का आन्दोलन चल रहा था। इसलिए अंग्रेजों को भारतीयों के हाथों में सत्ता सौंपने के लिए नए तरीके से विचार करना पड़ा।