ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य के दौरान आने वाली समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.8855/dp0gvg77Abstract
भारतीय चिन्तन परम्परा में सृष्टि के विकास के आरम्भ से ही ‘‘तमसो मां ज्योतिर्गमय’’ की अवधारणा प्रधान रही है। अर्थात् शिक्षण प्रकाश का स्त्रोत है जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सच्चे मार्ग का प्रदर्शन करता है। शिक्षा से विनय व शील का विकास होता है। ‘‘सा विद्या या विमुक्तये’’ से तात्पर्य यह है कि विद्या से मुक्ति मिलती है। मुक्ति का अर्थ केवल आवागमन से मुक्त होना ही नहीं बल्कि जड़ता, अंहकार तथा मानसिक दासता से उठकर व्यक्ति को चैतन्य, विजयी तथा स्वतंत्र विचारक बनाने से है।
Downloads
Published
2013-2025
Issue
Section
Articles