रीतिकालीन कवियों की सौंदर्य अनुभूति: एक तुलनात्मक विश्लेषण
DOI:
https://doi.org/10.8855/3g2ezk67Abstract
रीतिकाल हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण युग है जो मुख्यतः सत्रहवीं से अठारहवीं शताब्दी तक विस्तृत है। इस काल के कवियों ने सौंदर्य की अनुभूति को अपने काव्य में विविध रूपों में प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत शोध पत्र में केशवदास, बिहारी, देव, भूषण, मतिराम, घनानंद और पद्माकर जैसे प्रमुख रीतिकालीन कवियों की सौंदर्य अनुभूति का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है। यह अध्ययन दर्शाता है कि रीतिकालीन कवियों में सौंदर्य की अनुभूति केवल बाहरी रूप-रंग तक सीमित नहीं थी, बल्कि उसमें भावनात्मक गहराई, दार्शनिक चिंतन और सांस्कृतिक मूल्य भी निहित थे। इस काल की सौंदर्य दृष्टि में शास्त्रीय परंपरा और लोक संस्कृति का सुंदर मेल दिखाई देता है।
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2013-2025
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Articles