ग्रामीण महिलाओं के बदलते सामाजिक मूल्य एवं आकांक्षाएं (अम्बेडकर नगर जनपद की 300 ग्रामीण महिलाओं पर आधारित एक अध्ययन)

Authors

  • - रुपेश कुमार श्रीवास्तव Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/qxawt012

Abstract


    ग्रामीण महिलाओं के बदलते सामाजिक मूल्य एवं आकांक्षाओं पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होता है, कि आज उनके सामाजिक मूल्य एवं आकांक्षाएँ तेजी से परिवर्तित हो रही है। ऐसी लगभग 68 प्रतिशत महिलाओं की प्रतिक्रिया है। आज की महिलाएँ अपने पुराने परम्परागत व्यवसायों को छोड़ रही हैं, क्योंकि उसमें वे अपनी परिस्थिति में सुधार नहीं ला सकती हैं। आज उन्हें अपनी महत्ता समझ में आने लगी है। सच ही है, कि बिना ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के भारत या कोई भी देश सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक क्षेत्र में पूर्ण प्रगति को नहीं प्राप्त कर सकता। महिलाओं को ज्ञात हो रहा है, कि बिना शिक्षा के वे सामाजिक मूल्यों को नहीं समझ पायेंगी। अतः शिक्षित होने की दिशा में वे तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। सरकार भी इसका पूर्ण सहयोग कर रही है। सरकार ने ग्रामीणांचल में प्रौढ़-शिक्षा कार्यक्रम को बढ़ावा दिया तथा रात्रि विद्यालयों की भी स्थापना की। बच्चों की शिक्षा हेतु सर्व-शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। स्त्रियाँ भी शिक्षा के माध्यम से अपने में व्याप्त संकीर्ण मानसिकता को दूर कर रही हैं। घर की आर्थिक स्थिति को ठीक करने हेतु वे उद्योगों में कार्य भी करने लगी हैं। उनकी रूढ़िगत मनोवृतियाँ भी काफी हद तक कम हो रही हैं। 

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2013-2024

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