योगी के त्याग पूर्वक वेदोक्त जीवन का स्वरूप

Authors

  • रिंकू and Dr. Pramod Kumar Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/2065dw38

Abstract

प्राचीन काल से ही भारतवर्ष त्यागी तपस्वी योगी, )षिमुनियों का देश रहा है, सम्पूर्ण विश्व में भारत वर्ष इसीलिए विश्वगुरु रहा है। क्योंकि यहाँ जो ज्ञानी, ध्यानी विद्वान् महापुरुष अपने जीवन को निष्काम भाव से वेदोक्त शास्त्रोक्त कर्मों को करते हुए सदैव मनसा वाचा कर्मणा सर्वभूतहितरत् होकर व्यष्टि से समष्टि के कल्याण के लिए सब कुछ समर्पित कर देते हंै। योगी की समस्त दुर्गुण, दुव्र्यसन, दुव्र्यवहार, दुराचार, दुर्गति, अभाव अविद्या, अन्ध्कार, अन्याय अध्र्म, अज्ञान से भी मुक्ति होती है। तथा सत्यपूर्ण, समग्र, सन्तुलित, संयमित, मर्यादित, अहिंसक, न्यायपूर्ण जीवन होता है। 

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Published

2013-2025