सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के नाटकों में संवेदना के स्वर
DOI:
https://doi.org/10.8855/e4w3vk39Abstract
आधुनिक साहित्य में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के नाम से अनभिग कौन हो सकता है। वे तो साहित्य आकाश में चमकने वाला वो विशालकाय सितारा है जिसको रोशनी भूतल के बुद्धि जीवियों का मार्ग को रोशन करती है उनमें नूतन की प्रेरणा को उजागर करती है । युग कवि द्रष्टा भी होते हैं और सृष्टा भी होते हैं । क्योंकि वो समाज में जो देखते है अनुभव करते हैं वो ही अपनी रचनाओं में परोसते हैं । उसके नाटकों में भी संवेदना के स्वरों की मार्मिकता हृदय को भीतर तक छू जाती है ।
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2013-2025
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Articles
