मार्टिन विक्रमसिंह के उपन्यासों में चित्रित वंचित बाल समाज

Authors

  • दि० रसांगी नानायक्कार Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/ekn4bh92

Abstract

सिंहली उपन्यासकार मार्टिन विक्रमसिंह ने समाज में प्रचलित कुरीतियों को अपनी आँखों से देखा और अपने उपन्यासों के द्वारा वे उन कुरीतियों का यथार्थ सामने लाये। समाजके कुछ बच्चों को, उनकी गरीबी या किसी और बात पर समाज से वंचित किया गया है। उनको साधारण बच्चों की सुविधा नहीं दी गयी है। उसी परिवेश में पले-पढ़े मार्टिन विक्रमसिंह नेअपनी स्वयं की अनुभूतियों के साथ उस परिवेश को अपनी आँखों से देखा और महसूस किया था। जब वे लेखन रचने लगे तब उनकी उस अनुभूतियों ने साया बनकर उनके लेखन कार्य को सजीव बनाया। अतः बच्चोंके मन की स्थिति उन्होंने मार्मिक रूप से अपने उपन्यासों द्वारा भीप्रस्तुतकिया। विक्रमसिंह का उपन्यास‘गम्पेरलिय’ और बाल उपन्यास ‘मडोल दूव’ मेंवही यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया गया है।

Downloads

Published

2013-2024

Issue

Section

Articles