ज्ञानरंजन कृत‘फेंस के इधर और उधर’ कहानी-संग्रह में स्वतंत्रता के अपेक्षाकृत वैयक्तिक आयाम
DOI:
https://doi.org/10.8855/692vft08Abstract
‘फेंस के इधर और उधर’ कहानी-संग्रह में संकलित कहानियों में ज्ञानरंजन स्वतंत्रता के अपेक्षाकृत वैयक्तिक आयामों को उभारते हैं। ‘कलह’ कहानी में, स्वाति घर की तनाव भरी बोेझिल हवा से परेशान है, परिवार में बढ़ते जा रहे तनाव, अल-गाव से घबराती है, मन ही मन उफनती है, उसकी उम्र है रोमानी सपनों में तैरने की। वह इस जिंदगी के सन्दर्भ में आगे वाली जिन्दगी के बारे में सोचती है और कभी भावुकता में बहने लगती है कभी सिहर उठती है- यही होता है, पति-पत्नी का प्यार। लेखक स्वाति की इस तकलीफ को उसके अन्तद्र्वन्द्व को महत्व देता है और आधुनिक जीवन में, घरों में, सम्बन्धों में बढ़ते अजनबीपन और घुलते हुए कसैलेपन से प्रभावित, परेशान होते बच्चों से व्यापक स्तर पर स्वाति की मानसिक यातना को जोड़ता है।-स्वाति का पढ़ना-लिखना, उसका प्रेम और उसका गुलज़ार घर घुंघुआ रहा है, जल जायेगा अजीब बला है।