इस विशाल भूमण्डल पर जहाँ हम रहते हैं उस पुरुष प्रधान समाज में सैद्धांतिक रूप से जो नारी पूजनीय एवं वरेण्य है किन्तु व्यावहारिक जगत में दोहरे मानदण्ड अवश्य देखे जा सकते हैं। इस देश की धार्मिक संस्कृति में तो यही कहा जाता है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रम
DOI:
https://doi.org/10.8855/32xvkb71Abstract
इस विशाल भूमण्डल पर जहाँ हम रहते हैं उस पुरुष प्रधान समाज में सैद्धांतिक रूप से जो नारी पूजनीय एवं वरेण्य है किन्तु व्यावहारिक जगत में दोहरे मानदण्ड अवश्य देखे जा सकते हैं। इस देश की धार्मिक संस्कृति में तो यही कहा जाता है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।’ अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है, सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं और जहां नारी वर्ग का सम्मान नहीं होता, वहां किए गए सभी अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं। मेरा अनुभव भी यही कहता है कि नारी को सम्मान मिले जो प्रथम रूप मंे जननी है। नारी माता, बहन, बेटी और न जाने किन-किन रूपों में पुरुष वर्ग की सहायिका बन, उसे कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ाने की प्रेरणा शक्ति बन जाती है।