मौर्य साम्राज्य के शासन तंत्र और अशोक के धम्म की भूमिका
DOI:
https://doi.org/10.8855/yan2qg10Abstract
मौर्य साम्राज्य, प्राचीन भारत का पहला केंद्रीकृत और संगठित साम्राज्य, चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित किया गया था। यह शासन तंत्र चाणक्य के "अर्थशास्त्र" के सिद्धांतों पर आधारित था, जिसने शासन को कुशल और प्रभावी बनाया। इस तंत्र में राजा सर्वोच्च शासक होता था और उसके अधीन एक संगठित प्रशासनिक ढाँचा कार्य करता था, जिसमें मंत्री, राज्यपाल, और अधिकारी शामिल थे। कर संग्रह, न्याय प्रणाली, और सैन्य संगठन जैसे पहलू साम्राज्य की स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करते थे। यह तंत्र न केवल प्रशासनिक कुशलता का प्रतीक था, बल्कि एकीकृत भारत की कल्पना को भी साकार करता था। सम्राट अशोक, मौर्य साम्राज्य के महान शासक, ने शासन में नैतिकता और सहिष्णुता को स्थापित किया। कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने अहिंसा, करुणा, और धार्मिक सहिष्णुता पर आधारित "धम्म" को अपनाया। धम्म ने शासन तंत्र को मानवीय और जनकल्याणकारी दिशा दी। अशोक ने शिलालेखों और स्तंभों के माध्यम से धम्म का प्रचार किया और जनकल्याण के लिए अस्पताल, सड़कें, कुएं, और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। धम्म ने न केवल भारतीय समाज में नैतिकता और समानता को बढ़ावा दिया, बल्कि बौद्ध धर्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किया। मौर्य शासन तंत्र और अशोक के धम्म ने भारतीय प्रशासन और संस्कृति को नई ऊँचाई दी। यह न केवल तत्कालीन समाज में स्थिरता और नैतिकता का प्रतीक था, बल्कि आने वाले समय के लिए भी प्रेरणादायक बना।