पूर्व मध्यकालीन गंगा घाटी में महिलाओ की सामाजिक स्थिति
DOI:
https://doi.org/10.8855/hr3vpb07Abstract
पूर्व मध्यकालीन गंगा घाटी (600–1200 ई.) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण कालखंड था, जिसमें समाज, धर्म और सत्ता संरचनाओं में गहरे परिवर्तन हुए। इस समय महिलाओं की सामाजिक स्थिति वर्ग, जाति, धर्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर विविध रूपों में देखी जाती थी। उच्च जातियों की महिलाएं घरेलू कार्यों और मर्यादाओं तक सीमित थीं, जबकि निम्न वर्ग की महिलाएं श्रम, कृषि और दस्तकारी जैसे कार्यों में सक्रिय थीं। शिक्षा, संपत्ति अधिकार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका सीमित थी, परंतु कुछ अपवाद रूप में वे धर्म, साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेती थीं। धार्मिक दृष्टि से महिलाएं व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेती थीं, परंतु निर्णयकारी भूमिकाओं से वंचित थीं। देवी-पूजा और भक्ति आंदोलन ने महिलाओं की प्रतीकात्मक महत्ता को तो बढ़ाया, परंतु व्यवहारिक जीवन में उनकी स्वतंत्रता पर नियंत्रण बना रहा। विधवा, पुनर्विवाह, पर्दा प्रथा और बाल विवाह जैसे सामाजिक पहलुओं ने महिला जीवन को और अधिक सीमित कर दिया। फिर भी, उनका योगदान पारिवारिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में निरंतर बना रहा।