सौभाग्य सिंह शेखावत के हिंदी साहित्य का अध्ययन सौभाग्य सिंह शेखावत की लोक दृष्टि
DOI:
https://doi.org/10.8855/pj8x1b70Abstract
‘लोक’ अपने आप में एक व्यापक शब्द है जिसकी व्याप्ति उस जनसाधारण में मिलती है, जिनके ज्ञान का आधार सिद्धांतों से अधिक व्यवहारगत है। यह आभिजात्य गर्व से कोसों दूर है।
"साधारण जीवन - लोक जीवन - ग्राम्य जीवन बहुत कुछ पर्यायवाची है। लोक जीवन की सबसे बड़ी विशेषता उसकी स्वाभाविकता है।
वस्तुतः प्रकृति का मूल कलेवर अकृत्रिम ही है। भौतिकता और स्पर्धा के स्थूल आवरण में से भी कभी-कभी मुक्त मन का सरल कंपन तरंगित होते हुए दिखाई दे जाता है। यह सरलता ही लोक है।
Downloads
Published
2013-2024
Issue
Section
Articles