हिन्दी की उपयोगिता के सन्दर्भ में पटकथा (स्क्रिप्ट) लेखन
DOI:
https://doi.org/10.8855/jgmpsm18Abstract
सम्पूर्ण विश्व अनन्त सौन्दर्य का भण्डार है। उस स्रष्टा ने इस अद्भुत धरा पर ऐसे दिव्य सौन्दर्य की सृष्टि की है, जिसका आभास हमें वन, पर्वत, नदियाँ, निर्झर, पशु-पक्षियों के रूप में साकार हुआ मिलता है। सौन्दर्य में एक सहज आकर्षण होते हुए भी रूचि-भेद देखा जाता है। जो पदार्थ या वस्तु एक व्यक्ति को सुन्दर लगता है, वही पदार्थ-वस्तु दूसरे को सुन्दर नहीं जान पड़ता। केवल उपयोगी लगता है। कविवर बिहारी इस रूचि-भेद को इस तरह व्यक्त करते हैं
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2013-2024
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Articles