अमृतलाल नागर जी का साहित्य तथा स्त्री विमर्श
DOI:
https://doi.org/10.8855/bwmhwk91Abstract
नागर जी के साहित्य में विषय चाहे कोई भी हो चाहे वह राजनीति हो, समाजसंबंधी हो, किसी के भाव हो या फिर सामाजिक कुरीतियाँ परन्तु इनके केंद्र में सदैव मुख विषय के रूप में रही तो वह है नारी| नारीको बहुत से कवियों ने अपने लेखनी के जादू से उकेरा है |यथा: प्रसाद जी का कथन है कि-“नारी तुम केवल श्रद्धा हो” वहीं कबीरदास जी नारी के विषय में सोचते हैं कि “माया महा ठगनी’ आदि|
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2013-2024
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Articles