’’हरिवंश राय बच्चन के काव्य में मानवीय संवेदना के विभिन्न रूप‘‘

Authors

  • ’डाॅ॰ ज्योत्स्ना Author

DOI:

https://doi.org/10.8855/ym1jc851

Abstract

सम्पूर्ण सृष्टि का केन्द्र मानव है। समस्त प्राकृतिक एवं मानव निर्मित संसाधन मानव के सुखोपयोग के लिए नियोजित किये जाते हैं। सामाजिक क्रांतियों का लक्ष्य भी मानव का विकास ही है। मानव का सुचारु जीवन-यावन समाज पर और समाज का संगठन प्रेम पर टिका हुआ है। मानव की समस्त गतिविधियों की प्रेरिका प्रेम-भावना है और यही भावना सौंदर्य दृष्टि का निर्माण करती है। जब यह भावना मानव मात्र तक आत्म-प्रसाद की भावना से अभिव्यक्ति के माध्यम से पहुँचाई जाए तभी हृदय का वास्तविक विकास संभव है और पृथ्वी पर मानव को यह भाव कवि ही दे सकता है।

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Published

2013-2025

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Articles