हिन्दी कथा साहित्य में स्त्री-चेतना के स्वर
DOI:
https://doi.org/10.8855/1f9va224Abstract
महिलाओं के लिए दोहरा मापदंड बहुत दमनकारी हो सकता है। यह उन्हें अपनी पूरी क्षमता हासिल करने से रोक सकता है और इससे हीनता की भावना पैदा हो सकती है। कई हिंदी उपन्यास दोहरे मानक और महिलाओं के जीवन पर इसके प्रभाव का पता लगाते हैं।
पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के सामने एक और चुनौती अवसरों की कमी है। महिलाओं को अक्सर शिक्षा, रोजगार और अन्य संसाधनों तक पहुंच से वंचित रखा जाता है। इससे महिलाओं के लिए अपने लक्ष्यों को हासिल करना बहुत मुश्किल हो सकता है।
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2013-2025
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Articles