नासिरा शर्मा और कृष्णा सोबती की कहानियों में नारी विमर्श: तुलनात्मक अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.8855/0393rw81Abstract
हिंदी साहित्य में नारी विमर्श एक सशक्त धारा के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें स्त्री के अस्तित्व, संघर्ष और स्वतंत्रता के प्रश्न प्रमुख हैं। नासिरा शर्मा और कृष्णा सोबती की कहानियाँ इस विमर्श को विशेष गहराई और विविधता प्रदान करती हैं। नासिरा शर्मा अपनी कहानियों में स्त्री के सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष, घरेलू जीवन की विसंगतियों और पितृसत्ता से जूझने की जिजीविषा को उभारती हैं। दूसरी ओर, कृष्णा सोबती स्त्री के भावनात्मक संसार, उसकी इच्छाओं, संवेदनाओं और आत्मनिर्णय की आकांक्षाओं को अपनी कहानियों का केंद्र बनाती हैं। तुलनात्मक अध्ययन से स्पष्ट होता है कि जहाँ नासिरा शर्मा का दृष्टिकोण व्यापक सामाजिक संदर्भों से जुड़ा हुआ है, वहीं कृष्णा सोबती का लेखन स्त्री की आंतरिक अस्मिता और आत्मस्वर को अधिक महत्व देता है। इस प्रकार, दोनों लेखिकाएँ अलग-अलग दृष्टियों से स्त्री चेतना को अभिव्यक्त करती हैं, किंतु दोनों का योगदान नारी विमर्श को समृद्ध करने और हिंदी साहित्य को नई दिशा देने में समान रूप से महत्त्वपूर्ण है।
