'गोदान': सामाजिक समस्याओं का दर्पण
DOI:
https://doi.org/10.8855/dbmy7279Abstract
प्रेमचंद हिंदी साहित्य के आकाश में एक ध्रुवतारे के समान हैं, जिन्होंने अपने उपन्यासों के माध्यम से समाज और जीवन की वास्तविकताओं का दर्पण प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने उपन्यासों में उन समकालीन समस्याओं का चित्रण किया, जिनसे व्यक्ति प्रतिदिन दो-चार होता है। प्रेमचंद एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते थे जो भेदभाव के अभिशाप से मुक्त हो, जहाँ किसी प्रकार का शोषण न हो, और मनुष्य की पहचान संपत्ति और जाति के आधार पर न हो। 'गोदान' में प्रेमचंद का यहीं उद्देश्य प्रमुखता से व्यक्त हुआ है। इस उपन्यास का मुख्य उद्देश्य है कृषक जीवन की समस्याओं का चित्रण करना, उनके शोषण का जीवंत चित्र प्रस्तुत करना और उनकी दयनीय स्थिति से समाज को परिचित कराना। किसान का शोषण कौन करता है और इसके लिए समाज में कौन-कौन लोग उत्तरदायी हैं? इन सभी का सजीव चित्रण 'गोदान' में किया गया है। उपन्यास केवल मनोरंजन की वस्तु नहीं है बल्कि जीवन की सच्चाइयों और यथार्थ को उजागर कर हमें सोचने-विचारने को विवश करता है, संघर्ष की प्रेरणा प्रदान करते हुए उसके समाधान के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। 'गोदान' में वर्णित समस्याओं का चित्रण करते हुए उनके समाधान का मार्ग स्पष्ट करना ही इस शोध आलेख का मुख्य उद्देश्य है।